कंप्यूटर का रखरखाव (Maintenance of Computer)

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कंप्यूटर का रखरखाव (Maintenance of Computer)

कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है | इसलिए यह यांत्रिक तथा विधुतीय मशीन की तुलना में अधिक नाजुक है कंप्यूटर धुल, तापमान आद्रता आदि बाहरी वातावरण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हो | अर्थात् इन बातो का उन पर अधिक प्रभाव पड़ता है | इसलिए कंप्यूटर को अन्य मशीनो की तुलना में अधिक सावधनीपूर्वक उपयोगी करने और रखरखाव करने की आवश्कता होती है |

हालाकि कंप्यूटर के लिए प्रया: वार्षिक रखरखाव अनुबंध किया है| परन्तु कंप्यूटर का रखरखाव केवल अनुबंध के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता उपयोगकर्ता को भी उसके उपयोग और रखरखाव के बारे में पर्याप्त जानकारी होना आवश्यक है, ताकि कंप्यूटर के खराब होने की संभावना |न्यूमतम हो जाए और खराबी आ जाने वह समझ सके की उसका क्या कारण है या सकता है |

विद्युत् आपूर्ति (Electric Supply)
विजली के वोल्टेज में भारी उतार-चढ़ाव कम्प्यूटरों के खराब होने का प्रमख कारण होता है। अत: कम्प्यूटर के लिए सुचारु रूप से स्थिर विद्युत् आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसके लिए, सबसे पहले तो उचित क्षमता का विद्युत् कनेक्शन होना चाहिए और दूसरे, उसमें अथिंग (Earthling) अवश्य करानी चाहिए। अर्थिग कराने से कम्प्यूटर को बिजली की लीकेज के दुष्परिणामों से बचाया जा सकता है।

 _यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कम्प्यूटर को 220 से 240 वोल्ट की ए०सी० प्राप्त हो रही है और कोई लीकेज नहीं हो रहा है। इसके लिए मल्टीमीटर (MultiMate) उपकरण का प्रयोग करके करंट नापा जाना चाहिए।
बिजली का बार-बार गायब हो जाना न केवल वहुत सारा कार्य बेकार कर देता है और हमारा बहुमूल्य समय नष्ट करता है, बल्कि कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क के कैश (Crash) हो जाने का भी प्रमुख कारण होता है। यदि हार्ड डिस्क क्रैश नहीं भी हो तो फाइलों में भरे हुए डाटा के भ्रष्ट (Corrupt) हो जाने की पूर्ण संभावना होती है। इसलिए कम्प्यूटर को स्थिर वोल्टेज की विद्युत् आपूर्ति लगातार होते रहने के लिए स्थायी व्यवस्था करनी चाहिए। इसके लिए अच्छी श्रेणी का यू०पी०एस० (UPS : Uninterrupted Power Supply) लगाना चाहिए। यू०पी०एस० में कम्प्यूटर सिस्टम को कुछ निश्चित समय (30 मिनट से 24 घंटे) तक बिजली देने के लिए आवश्यक संख्या में बैटरियाँ होती हैं, बिजली आते रहने पर स्वतः रिचार्ज हो जाती हैं और बिजली जाने पर कम्प्यूटर को पर्याप्त मात्रा में विद्युत् आपूर्ति करती रहती हैं। इससे किसी समय चल रहे प्रोग्रामों को पूरा होने तथा कम्प्यूटर को विधिपूर्वक बन्द करने का पर्याप्त समय मिल जाता है। इसलिए कम्प्यूटर के साथ यू०पी०एस० अवश्य लगाना चाहिए। यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी बैटरियाँ ठीक से चार्ज हो रही हैं। खराब बैटरियों को तुरन्तं बदल देना चाहिए।




इनपुट उपकरण (Input Devices)
इनपुट के उपकरण उपयोगकर्ता का सम्बन्ध कम्प्यूटर से जोड़ते हैं। वास्तव में केवल ये उपकरण ही उपयोगकर्ता के सम्पर्क में रहते हैं। इसलिए इनका उचित रखरखाव करना आवश्यक है।
 विभिन्न इनपुट उपकरणों का उपयोग करते समय विभिन्न प्रकार की समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। ऐसी प्रमुख समस्याओं का कारण और उनका समाधान नीचे बताया गया है।

 कीबोर्ड (Keyboard)
·         कोई भी बटन दबाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं होना-इसका कारण प्रायः यह होता है कि कीबोर्ड
सी०पी०यू० से ठीक से जुड़ा नहीं होता। यदि कीबोर्ड की कोई इंडीकेटर लाइट जैसे; Num Lock. Caps Lock या Scroll Lock नहीं जल रही है, तो यह निश्चित है कि कीबोर्ड का कनेक्टर सही नहीं लगा है। ऐसा होने पर उसके कनेक्टर को निकालकर फिर से दबाकर लगाना चाहिए। यदि इंडीकेटर लाइटें जल रही हैं, परन्त कीबोर्ड फिर भी कार्य नहीं कर रहा है, तो कम्प्यूटर को फिर से बूट करना चाहिए। 

·         कोई बटन बार-बार दबाने पर भी कार्य नहीं करना-ऐसा प्रायः कीबोर्ड में धूल भर जाने या कोई तरल पदार्थ चले जाने पर होता है। इसके लिए कीबोर्ड की नियमित सफाई करानी चाहिए। धूल और तरल पदार्थ उसके अन्दर न जाए इसके लिए कीबोर्ड स्किन का उपयोग करना चाहिए।
·         कोई बटन एक बार दबाने पर कई बार दबाने जैसा कार्य करना-इसका कारण भी धूल, चिकनाई आदि होती है। कीबोर्ड अधिक पुराना हो जाने पर बदल देना चाहिए। इन सभी समस्याओं को उत्पन्न होने से बचाने के लिए कीबोर्ड की नियमित सफाई किसी योग्य व्यक्ति से करानी चाहिए।
 माउस (Mouse)
·         माउस को चलाने पर भी पॉइंटर न हिलना-इसका कारण होता है कि माउस का कनेक्टर ठीक से नहीं लगा है। अत: उसे फिर से निकालकर लगाना चाहिए। यदि अभी भी समस्या हल न हो तो कम्प्यूटर को विधिपूर्वक बंद करके उसे फिर से बूट करना चाहिए। इससे माउस अवश्य ठीक तरह से कार्य करने लगेगा। 
·         माउस को माउस पैड पर चलाने पर भी माउस पॉइंटर ठीक से नहीं चलना-ऐसा माउस की बॉल में धूल, चिकनाई आदि चिपक जाने से होता है। ऐसी स्थिति में सबसे पहले तो माउस पैड को किसी साफ और सूखे कपड़े से अच्छी तरह रगड़कर साफ करना चाहिए। यदि इससे समस्या हल न हो, तो माउस की तली को घुमाकर उसकी रबड़ की बॉल को निकाल लेना चाहिए और उसे साफ तथा सूखे कपड़े से सभी ओर से रगड़कर पोंछ देना चाहिए ताकि धूल, चिकनाई वगैरह समाप्त हो जाए। इसके साथ ही माउस के अन्दर के उन भागों को भी साफ कपड़े से रगड़कर पोंछ देना चाहिए, जो बॉल के सम्पर्क में रहते हैं। यदि उन पर कुछ चिपक गया हो तो उसे हटा देना चाहिए। ऐसा करके बॉल को फिर लगा देना चाहिए। इतना करने से ही माउस ठीक से कार्य करने लगेगा।
·         माउस ठीक से नहीं चलना-यदि सफाई करने के बाद भी माउस ठीक से कार्य न कर रहा हो, तो पहले माउस पैड को बदलना चाहिए। अधिक चिकने माउस पैड भी यह समस्या पैदा करते हैं। यदि माउस पैड बदलने पर भी समस्या हल न हो तो माउस को बदल देना चाहिए।

 स्कैनर (Scanner)
 स्कैनर एक ऐसा उपकरण है जो कागज पर छापे गए चित्रों या पाट्य का डिजिटल डाटा में बदलकर कम्प्यूटर को भेजता है। यह एक बहुत जटिल उपकरण होता है। इसका उपयोग करना भी थोड़ा कठिन है। इसलिए इसके लिए अतिरिक्त सावधानी की आवश्यकता है। इसके उपयोग के लिए निम्नलिखित यातों का ध्यान रखना चाहिए
1.    सबसे पहले उसके पॉवर केविल का पॉवर बोर्ड या यू०पी०एस० से और कनेक्टर केबिल को सी०पी०यू० से ठीक से लगाएँ। आजकल सभी स्कैनरों के कनेक्टर यू०एस०बी० पोर्ट पर लगाये जाते हैं। ऐसे पोर्ट सी०पी०यू० यूनिट के सामने भी हो सकते हैं और पीछे भी।
2.    यदि स्कैनर का ड्राइवर स्थापित नहीं हुआ हो, तो यू०एस०बी० पोर्ट पर कनेक्टर लगाकर स्कैनर को ऑन करते ही कम्प्यूटर "New Hardware Found" का सन्देश देगा। ऐसी स्थिति में उसके डाइवर को स्थापित करना चाहिए।
3.      स्कैनर गर्म होने में कुछ समय लेता है। इसलिए यदि वह तत्काल स्कैनिंग करना प्रारम्भ न करे, तो धैर्यपूर्वक उसके गर्म होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
4.      यदि किसी समय स्कैनर का उपयोग नहीं किया जा रहा है, तो उसे ऑफ करके रखना चाहिए।











माइक (Mike)
यह एक बहुत छोटा उपकरण होता है, जो हमारी आवाज को रिकॉर्ड करने का कार्य करता है। इसके उपयोग के समय निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिएँ
1. माइक का कनेक्टर साउण्ड कार्ड से सही स्थान पर लगा होना चाहिए।
2. माइक का कोई विशेष ड्राइवर नहीं होता, बल्कि उसके लिए साउण्ड कार्ड मदरबोर्ड में ही लगा हुआ होता है। आवश्यक सॉफ्टवेयर भी विंडोज 95 (Windows 95) तथा बाद के ऑपरेटिंग सिस्टम और लाइनक्स (Linux) ऑपरेटिंग सिस्टम स्वतः लोड कर देते हैं। आवश्यक होने पर मदरबोर्ड की स्थापना सीडी (Installation CD) का उपयोग करना चाहिए।
3. यदि माइक का उपयोग नहीं हो रहा है, तो उसे धूल आदि से बचाने के लिए ढककर रखना चाहिए।
आउटपुट उपकरण (Output Devices)
आउटपुट के उपकरण उपयोगकर्ता के कार्य का परिणाम दिखाते या छापते हैं। इसलिए इनका भी उचित रखरखाव करना आवश्यक है। विभिन्न आउटपुट उपकरणों का उपयोग करते समय विभिन्न प्रकार की समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। ऐसी प्रमुख समस्याओं का कारण और उनका समाधान नीचे दिया गया है।
 डॉट-मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot-Matrix Printer)
·         अस्पष्ट चिह्न छापना-यदि प्रिंटर की छपाई में कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है, तो इसका कारण यह है कि वह कम्प्यूटर में ठीक से स्थापित नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में प्रिंटर को उसकी स्थापना डिस्क की सहायता से फिर से विधिपूर्वक स्थापित करना चाहिए। यदि वह पहले से स्थापित था, तो उसके आइकॉन को हटा देना चाहिए और फिर से स्थापित करना चाहिए। स्थापना के समय Test Page अवश्य छापना चाहिए।
·         छपाई बिल्कुल न करना-इसका कारण उसके केबिल का ठीक से नहीं लगा हाना होता है। ऐसी स्थिति में सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रिंटर का केबिल कम्प्यूटर से ठीक तरह से जुड़ा हुआ है और प्रिंटर में बिजली भी जा रही है। कम्प्यूटर की ऑन-लाइन इंडीकेटर लाइट भी ऑन होनी चाहिए।
·         आधे-अधूरे चिह्न छापना-यह स्थिति प्रिंटर का रिबन बीच से मड जाने पर उत्पन्न होती है। ऐसी स्थिति में रिवन को पूरा फैलाकर अच्छी तरह लगाना चाहिए।
·         फीकी छपाई-इससे पता चलता है कि रिबन की इंक खत्म हो रही है। ऐसी स्थिति में पहले रिबन पर थोड़ा दबाव बढ़ाना चाहिए। यदि इससे भी काम न चलं, तो रिवन बदल देना चाहिए अर्थात् उसके काट्रिन का रिफिल करा लेना चाहिए।
·          रिबन कट जाना- यदि छपाई करते-करते रिबन किनारों से या बीच से कट गया है, तो या तो रिबन घूमनहीं रहा है या वह एक ही किनारे से छाप रहा है। ऐसी स्थिति में अच्छा और ट्विस्टेड रिबन लगाना चाहिए।
·          प्रिंट हैड चलना परन्तु अक्षर न छपना-इसका कारण यह होता है कि रिवन अपनी जगह से हट गया है और प्रिंट हैड के नीचे नहीं है। ऐसी स्थिति में उसे ठीक से लगाना चाहिए।
·         सभी लाइट एक साथ ब्लिंक करना-इसका कारण होता है कि प्रिंट हैड में कोई रुकावट आ गयी है। इसके लिए प्रिंटर की सफाई करनी या करानी चाहिए और उसके रॉलर को साफ कपड़े से पोंछना चाहिए। कागज पर एक ही जगह छापना-यदि कागज आगे नहीं बढ़ रहा है, तो इसका कारण है कि प्रिंटर के रॉलर की पिनों में कागज ठीक से नहीं लगा है या कागज बहुत कमजोर है। ऐसी स्थिति में कागज को ठीक से लगाना चाहिए और कमजोर कागज को बदल देना चाहिए।
·         गन्दी छपाई होना-यदि कागज पर फालतू धब्बे आ रहे हैं, तो इसका कारण रिवन पर अत्यधिक दबाव होना होता है। ऐसी स्थिति में दबाव कम कर देना चाहिए।
इंकजेट प्रिंटर (Inkjet Printer)
·         फीकी प्रिंटिंग-इसका कारण काटिज की स्याही खत्म हो जाना होता है। ऐसी स्थिति में या तो काट्रिज को किसी अनुभवी व्यक्ति से रिफिल कराना चाहिए, या नया काट्रिज लगाना चाहिए।
·         कागज पर जगह-जगह धब्बे पड़ना-ऐसा काट्रिज गन्दा होने या लीक करने के कारण होता है। यदि काट्रिज गन्दा हो गया हो तो उसे ठीक से पोंछकर फिर लगाना चाहिए। यदि लीक कर रहा हो, तो उसे बदल देना चाहिए।
·         प्रिंटर काम न करना-ऐसा पॉवर सप्लाई न होने या प्रिंटर कम्प्यूटर से ठीक से कनेक्टेड न होने के कारण होता है। ऐसी स्थिति में पॉवर सप्लाई और कनेक्टर दोनों के केबिल ठीक से जाँच करके लगाने चाहिएं।
·         अस्पष्ट छापना-ऐसा प्रिंटर का ड्राइवर सही तरीके से स्थापित न होने के कारण होता है। इसलिए पुराने ड्राइवर को हटाकर फिर से स्थापित करना चाहिए।  
·         पॉवर ऑन होने पर भी छपाई न होना-ऐसा पोर्ट रुक जाने या खराब हो जाने के कारण होता है। अत:पहले प्रिंटर को सेल्फ टेस्ट करना चाहिए। यदि इससे भी समाधान न हो तो कम्प्यूटर को फिर से बूट करना चाहिए।
·         लाल बत्ती जलना-यदि छपाई करते-करते रुक गयी है और गलती बताने वाली लाल बत्ती जल गयी है तो इसका कारण या तो प्रिंटर में कागज फंस जना या काट्रिज अटक जाना होता है। ऐसी स्थिति में पहले कागज को देखना चाहिए और फिर काट्रिज की जाँच करनी चाहिए। यदि कागज फंस रहा हो तो उसके अन्दर वाले किनारे को सीधा करके फिर से डालना चाहिए।
·         एक साथ कई कागज चले जाना-इसका कारण होता है कि गर्मी या किसी अन्य कारण से कागज आपस में चिपक गए हैं। ऐसा होने पर कागजों को निकालकर उनमें कई बार फुरी लगाकर फिर से लगाने चाहिएँ।
लेजर प्रिंटर (Laser Printer)
·         फीकी प्रिंटिंग-इसका कारण टोनर काट्रिज की स्याही खत्म हो जाना होता है। ऐसी स्थिति में पहले टोनर को पलटना-हिलाना चाहिए। यदि इससे पर्याप्त इंक न आए, तो या तो टोनर काट्रिज को किसी अनुभवी व्यक्ति से रिफिल कराना चाहिए या नया टोनर काट्रिज लगाना चाहिए।  
·         कागज पर जगह-जगह धब्बे पड़ना-ऐसा टोनर काट्रिज गन्दा होने या लीक करने के कारण होता है। यदि टोनर काट्रिज का रोलर गन्दा हो गया हो तो उसे ठीक से पोंछकर फिर से लगाना चाहिए। यदि लीक कर रहा हो, तो उसं बदल देना चाहिए।
·         प्रिंटर काम न करना-ऐसा पॉवर सप्लाई न होने या प्रिंटर कम्प्यूटर से ठीक से कनेक्टेड न होने के कारण होता है। ऐसी स्थिति में पॉवर सप्लाई और कनेक्टर दोनों के केबिल ठीक से जाँच करके लगाने चाहिएं।
·         अस्पष्ट छापना-ऐसा प्रिंटर का ड्राइवर सही तरीके से स्थापित न होने के कारण होता है। इसलिए पुराने ड्राइवर को हटाकर फिर से स्थापित करना चाहिए।
·         पॉवर ऑन होने पर भी छपाई न होना-ऐसा पोर्ट रुक जाने या खराब हो जाने के कारण होता है। अतः पहले प्रिंटर को सेल्फ टेस्ट करना चाहिए। यदि इससे भी समाधान न हो तो कम्प्यूटर को फिर से बूट करना चाहिए।
·         लाल बत्ती जलना-यदि छपाई करते-करते रुक गयी है और गलती बताने वाली लाल बत्ती जल गयी है तो इसका कारण या तो प्रिंटर में कागज फंस जाना या टोनर का गॅलर न घूमना होता है। ऐसी स्थिति में पहले  कागज को देखना चाहिए और फिर टोनर काटिज की जाँच करनी चाहिए। यदि कागज फंस रहा हो तो उसके अन्दर वाले किनारे को सीधा करके फिर से डालना चाहिए।
·         एक साथ कई कागज चले जाना-इसका कारण होता है कि गर्मी या किसी अन्य कारण से कागज आपस में चिपक गए हैं। ऐसा होने पर कागजों को निकालकर उनमें कई बार फुरी लगाकर फिर से लगाने चाहिए।
·         पेज स्किप करना और काला ही काला छापना-यह स्थिति तब होती है, जब अधिक छपाई के कारण प्रिंटर गर्म हो जाता है। ऐसी स्थिति में टोनर को निकालकर प्रिंटर का ढक्कन खोल देना चाहिए और उसको ठंडा होने देना चाहिए। पर्याप्त ठंडा हो जाने पर प्रिंटर फिर से सही छापने लगेगा।
मॉनीटर (Monitor)
 मॉनीटर पर कुछ भी दिखाई नहीं देना-इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे मॉनीटर को पॉवर सप्लाई न मिलना, मॉनीटर ऑन न होना, मॉनीटर का कनेक्शन या केबिल सी०पी०यू० से न जुड़ना, डिस्प्ले कार्ड खराब होना आदि। इसलिए सबसे पहले पॉवर सप्लाई और केबिल को चेक करना चाहिए। यदि इससे समाधान न हो, तो डिस्प्ले कार्ड खराब होगा, जिसके लिए अनुभवी हार्डवेयर इंजीनियर से सम्पर्क करना चाहिए। मॉनीटर का डिस्प्ले मोड न बदलना-कई बार ऐसा होता है कि मॉनीटर मोटे-मोटे बिन्दुओं में सामग्री दिखाता है और डिस्प्ले मोड बदलने का विकल्प भी नहीं होता। इसका कारण वी०जी०ए० (VGA या सी०जी०ए० (CGA) का ठीक से स्थापित न होना होता है। वैसे विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम सभी डिस्प्ले प्राइवरों को अपने आप लोड करता है। यदि ऐसा न हो, तो उन्हें अलग से फिर से लोड करना चाहिए। इसके लिए किसी हार्डवेयर इंजीनियर की सेवाएं लेनी चाहिए। मॉनीटर का डिस्प्ले हिलना-इसका कारण पॉवर सप्लाई ठीक न होना या आसपास कोई इलेक्ट्रिक उपकरण का होना होता है। इसलिए पहले पॉवर सप्लाई ठीक करनी चाहिए और फिर यू०पी०एस०, स्टेबलाइजर, बैटरी जैसी चीजों से मॉनीटर को दूर रखना चाहिए। यदि तब भी समस्या हल न हो, तो किसी हार्डवेयर इंजीनियर
को बुलाना चाहिए। डिस्प्ले साफ परन्तु स्क्रीन पर अक्षर बड़े होना-इसका कारण डिस्प्ले की सेटिंग ठीक नहीं होना है। इसको सुधारने के लिए निम्नलिखित क्रियाएँ कीजिए
1. स्टार्ट मेन्यू में Control Panel को क्लिक करके कंट्रोल पैनल की विंडो को खोलिए।
2. कंट्रोल पैनल की विंडो में Display के आइकॉन को डबल-क्लिक करके डिस्प्ले प्रोपर्टीज के डायलॉग १. बॉक्स को खोलिए।
3. इस डायलॉग बॉक्स में Settings टैब को क्लिक कीजिए, जिससे एक डायलॉग वॉक्स दिखाई देगा।
4. यदि ColourQuality की सेटिंग Medium (16 Bit) हो तो उसे बदलकर High (24 Bit) कर दीजिए।
5. अब Screen Resolution को 800 x 600 पिक्सल से बदल कर 1024 x 768 पिक्सल कर दीजिए।
6. अन्त में OK आदेश बटन को क्लिक कीजिए। इससे डिस्ले मोड सही हो जाएगा।
7. यदि इसके बाद पुष्टि का डायलॉग बॉक्स प्राप्त हो तो उसमें Yes बटन को क्लिक कीजिए।
भंडारण उपकरण (Storage Devices)
यहाँ भंडारण उपकरणों; जैसे-पलॉपी डिस्क ड्राइव, हार्ड डिस्क ड्राइव और सीडी-रोम ड्राइव में होने वाली समस्याओं और उनके समाधान के बारे में बताया गया है।

फ्लॉपी डिस्क ड्राइव (Floppy Disk Drive) 
·         फ्लॉपी न खुलना-इसका कारण यह हो सकता है कि या तो फ्लॉपी खराब हो गयी है या फ्लॉपी ड्राइव खराब है। सबसे पहले उस फ्लॉपी को ड्राइव से निकालकर फिर से लगाकर खोलने की कोशिश करनी चाहिए। प्रायः इससे फ्लॉपी खुल जाती है। यदि इससे काम न चले, तो पहले उपयोग की गयी फ्लॉपी को किसी अन्य ड्राइव में लगाकर खोलिए। यदि वह फ्लॉपी खुल जाती है, तो इससे पता चलता है कि ड्राइव सही है, लेकिन पहले वाली फ्लॉपी खराब है। ऐसी स्थिति में फ्लॉपी को बदल देना चाहिए या उसे फिर से फॉर्मेट करके उपयोग में लाना चाहिए। यदि दूसरी फ्लॉपी भी नहीं खलती, तो डाइव खराब हो सकता है। ऐसी स्थिति में किसी हार्डवेयर इंजीनियर का सहायता लेनी चाहिए। कभी-कभी फ्लॉपी ड्राइव की सफाई करने पर समस्या हल हो जाती है।
·          फाइल पूरी कॉपी न होना-इसका कारण यह हो सकता है कि फ्लॉपी में कोई बैड सेक्टर है, जिसके कारण उस पर फाइल पूरी स्टोर नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में फ्लॉपी को फिर से फॉर्मेट करना चाहिए।
·         फ्लॉपी पर फाइल कॉपी न होना-इसका कारण यह हो सकता है कि या तो फाइल के लिए फ्लॉपी पर पर्याप्त जगह नहीं है या फाइल का आकार पलॉपी की कुल क्षमता 1.44 मंगाबाइट से अधिक है। पहली स्थिति में फालतू फाइलों को हटाकर पर्याप्त जगह बनानी चाहिए या किसी अन्य फ्लॉपी का उपयोग करना चाहिए। दूसरी स्थिति में फाइल को किसी अन्य माध्यम में स्टोर करना चाहिए।

हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive)
·         फाइल न खुलना-यह समस्या प्रायः तब होती है, जब फाइल नष्ट हो जाती है अर्थात् ठीक-ठीक स्टोर नहीं होती। ऐसा हार्ड डिस्क की बिजली अचानक चले जाने पर हो सकता है। ऐसी स्थिति में फाइल को खोला नहीं जा सकता या आधा-अधूरा ही खोला जा सकता है। अत: उस फाइल को फिर से कहीं से प्राप्त करना चाहिए।
·          फाइल पढ़ने में अटक जाना-इसका कारण फाइल में कोई बैंड सेक्टर होना हो सकता है। इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए हार्ड डिस्क को स्कैन करना चाहिए।
·          फाइल खुलने या स्टोर करने में बहुत समय लेना-इसका कारण फाइल बहुत बड़ी होना और डिस्क में कई जगह बिखरी होना हो सकता है। इससे मुक्ति पाने के लिए हार्ड डिस्क का डिफ्रेगमेंट (Defragment) करना चाहिए। इसके बारे में आप भाग 2 (विंडोज) में पढ़ चुके हैं।
·         डिस्क का बिल्कुल कार्य न करना-यह समस्या आजकल बहुत कम होती है। ऐसा डिस्क क्रश हो जाने पर होता है। इसके समाधान के लिए सबसे पहले उसे फिर से फॉर्मेट करना चाहिए। यदि इससे कार्य न होतो डिस्क को बदलना पड़ता है।

सीडी-रोम ड्राइव (CD-ROM Drive)
·         किसी फाइल का न खुलना-ऐसा प्रायः तब होता है. जब या तो सीडी पर बहुत खरोंच आदि आ गयी होया ड्राइव में धूल चली गयी हो। इससे बचने के लिए ड्राइव को हमेशा साफ रखना चाहिए। ड्राइव की ट्रे बाहर आने पर देख लेना चाहिए कि उस पर कहीं धूल तो नहीं है। धूल होने पर उसे किसी साफ कपड़ से पोंछकर सीडी लगानी चाहिए। उपयोग के बाद सीडी को हमेशा उसके लिफाफे या डिब्बे में बन्द रखना चाहिए। उसको खुला नहीं छोड़ना चाहिए। .
·          सीडी यहत देर से खलना-यह समस्या भी सीडी पर खरोंच होने या ड्राइव के लेजर लेंस पर कुछ पड जाने के कारण होती है। ऐसी स्थिति में लेजर लेंस को किसी जानकार व्यक्ति से साफ कराना चाहिए। यदि सोडी पर खरोंच आदि के निशान अधिक है, तो उसका उपयोग न करना ही अच्छा है।
·         सीडी बिल्कुल न खुलना-यदि काफी देर तक टिमटिमाने के बाद भी सीडी नहीं खुलती तो इसका कारण यह हो सकता है कि सीडी का टाइप डाइव के साइप से अलग है या डाइव के लिए सही ड्राइवर की स्थापना नहीं की गयी है। ऐसी स्थिति में सही डाइवर फिर से स्थापित करना चाहिए।
·         ड्राइव में सीडी फैस जाना-कई बार ड्राइव को दे (Tray) बाहर नहीं आती। इसका कारण ट्रे खराब हो जाना होता है। ट्रे को बार-बार हाथ से धकेलने पर यह समस्या पैदा हो जाती है। अतः हमेशा बटन दबाकर ही ट्रे को बाहर निकालना और भीतर करना चाहिए। यदि सीडी बाहर न निकल पा रही हो, तो ड्राइव में बने एक छोटे छेद में आलपिन डालने से ट्रे प्रायः बाहर आ जाती है।

सिस्टम यूनिट (System Unit)
सिस्टम यूनिट वह बॉक्स है जिसमें इनपुट-आउटपुट उपकरणों को छोड़कर कम्प्यूटर के सभी भाग रखे जाते है। इनमें सी०पी०यू० और मैमोरी शामिल है। बाह्य मैमोरी के उपकरणों के रखरखाव के बारे में आप पीछे पढ़ चुके हैं। यहाँ मदरबोर्ड और प्रोसेसर के रखरखाव के बारे में बताया गया है।

मदरबोर्ड (Motherboard)
·         .मदरबोर्ड में पॉवर सप्लाई के केबिल को ठीक प्रकार से लगाना चाहिए। वह ढीला नहीं होना चाहिए, नहीं तो पूरा मदरबोर्ड खराब हो जाने का डर रहता है।
·         मदरबोर्ड में रैम (RAM) को उसके स्लाट में ठीक प्रकार से फिट करना चाहिए। यदि यह सही नहीं लगा है तो रैम ठीक प्रकार से कार्य नहीं करेगी।
·         मदरबोर्ड के नीचे प्लास्टिक शीट का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह गर्म होकर मदरबोर्ड को खराब कर सकती है। इसके स्थान पर फोम शीट का उपयोग करना चाहिए।
·         समय-समय पर मदरबोर्ड की सफाई किसी योग्य और अनुभवी इंजीनियर से करानी चाहिए। कोई सर्किट या बोर्ड लगाने या निकालने पर तो अनिवार्य रूप से सफाई होनी चाहिए।
प्रोसेसर (Processor)
 प्रोसेसर गर्म हो जाना-प्रायः कार्य करते-करते प्रोसेसर गर्म हो जाता है और कार्य करना बन्द कर देता है।
इससे बचने के लिए प्रोसेसर का फैन ठीक प्रकार से चलना चाहिए। यदि वह धीमा है या बन्द है तो पहले उसकी पॉवर सप्लाई की जाँच करनी चाहिए। यदि वह ठीक हो तो फैन को बदल देना चाहिए।
कम्प्यूटर बार-बार हँग हो जाना-ऐसा प्रायः वोल्टेज में अचानक बहुत उतार-चढ़ाव के कारण या 18 सी०पी०यू० और मैमोरी की गति में तालमेल न होने के कारण होता है। अतः अच्छी श्रेणी के यू०पी०एस०
का उपयोग करना चाहिए और सी०पी०यू० और रैम चिपों की गति समान होनी चाहिए। ऊपर बतायी गयी प्रमुख समस्याओं के अलावा यदि और कोई बड़ी समस्या उत्पन्न होती है, तो किसी अच्छे जानकार हार्डवेयर इंजीनियर की सेवाएं लेनी चाहिएँ।

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