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1.7.1 स्टैण्डर्ड टोपोलॉजी (standard topology)

मुख्य रूप से निम्नलिखित चार स्टैण्डर्ड/बेसिक टोपोलॉजी(standard/basic topology) है, जिनसे अन्य टोपोलॉजी का निर्माण भी किया जाता है|

  •   बस टोपोलॉजी(Bus topology)
  •   स्टार टोपोलॉजी(Star topology)
  •   रिंग टोपोलॉजी(Ring topology)
  •   मेश टोपोलॉजी(Mesh topology)

एक बस टोपोलॉजी (bus topology)वैसे डिवाइसो (devices)अर्थात उपकरणों से निर्मित होती है जिसमे सभी डिवाइस  (device) एक ही तार (cable) के जुड़े होते है | एक स्टार टोपोलॉजी (star topology) में सभी डिवाइस पृथक-पृथक तार के माध्यम से एक ही बिंदु (point)से जुड़े होते है, जिसे हब (hub)कहते है| जब कोम्पुटरों को एक तार से इस तरह जोड़ा जाता है कि एक लूप (loop)का निर्माण होता है, ओ इसी लूप को रिंग  (ring)कहा जाता है और इस व्यवस्थापन (arrangement)को रिंग टोपोलॉजी (ring topology) कहा जाता है | एक मेश टोपोलॉजी (mesh topology) में सभी कोम्पुटरों को एक –दुसरे से पृथक-पृथक तार सेड जोड़ा जाता है |

इन चारो टोपोलॉजी को कॉम्बाइन (Combine) कर विभिन्न प्रकार के जटिल – हाइब्रिड टोपोलॉजीज (Complex-Hybrid Topologies)का निर्माण किया जा सकता है |आइये, अब एक-एक कर इन टोपोलॉजी का अध्ययन करते है |

1.7.2 बस टोपोलॉजी(Bus topology)

बस टोपोलॉजी(Bus topology) को “लीनियर बस”(Linear bus)भी कहा जाता है;क्योंकि इसमें कम्प्यूटर्स एक सीधे लाइन(Straight line)में जुड़े होते हैं| यह कम्प्यूटरों को नेटवर्क करने का सबसे सरल और सर्वसाधारण मेथड है|

1.12

चित्र संख्या-1.12 में एक बस टोपोलॉजी(Bus topology) को दर्शाया गया है| बस टोपोलॉजी(bus topology) केवल एक और एक ही तार से निर्मित होता है, जिसे ट्रंक(trunk) कहा जाता है,जो एक ही
लाइन में नेटवर्क में सभी कम्प्यूटरों को जोड़ता है| विदित हो कि इस ट्रंक(trunk) को बैकबोन(Backbone) या सेगमेन्ट(Segment) भी कहा जाता है|

1.8 बस टोपोलॉजी नेटवर्क में कॉम्युनिकेशन कैसे होता है?(How communication occurs on bus topology network?)   

1.13

बस टोपोलॉजी नेटवर्क(bus topology network) में कम्प्यूटर डेटा की एड्रेसिंग(Addressing) कर डेटा को इलेक्ट्रॉनिक सिगनल्स(electronic signals) के रूप में नेटवर्क में सभी कम्प्यूटरों को भेजा जाता है तथा डेटा को केवल उसी कम्प्यूटर द्वारा एक्सेप्ट(accept) किया जाता है, जिसका एड्रेस(address) डेटा में इन्कोड(incode) किया गया होता है| अन्य सभी द्वारा डेटा को रिजेक्ट कर दिया जाता है| चित्र
संख्या-1.13 में एक मैसेज(message) को 0003af1618 से 02307C123456 को भेजते हुए दर्शाया गया है|

बस टोपोलॉजी नेटवर्क में एक समय में एक ही कम्प्युटर देता ट्रान्समिट कर सकता है अर्थात भेज सकता है|

चूँकि किसी बस नेटवर्क (Bus network) में एक समय में एक ही कंप्यूटर डेटा भेज सकता है: बस से जुड़े हुए कंप्यूटरों की संख्या नेटवर्क के परफारमेन्स (Network Performance) को प्रभावित करते है| बस से जुड़े हुए कंप्यूटरों की संख्या जितनी अधिक होती है, कंप्यूटरों को बस पर अपना डेटा भेजने अर्थात ट्रांसमिट (transmit) करने के लिए उतने ही अधिक देर तक प्रतीक्षा करनी पडती है; परिणामस्वरूप, नेटवर्क का परफॉरमेंस (performance) मंद (Slow) हो जाता है |

किसी नेटवर्क में कंप्यूटरों की संख्या के आधार पर नेटवर्क की स्पीड को मापने का कोई का कोई भी स्टैण्डर्ड तरीका (Standard wa) नहीं है| वास्तव में नेटवर्क का परफॉरमेंस (performance) केवल नेटवर्क में कंप्यूटरों की संख्या पर ही निर्भर नहीं करता है; बल्कि यह निम्नलिखित कारको फैक्टर्स (factors) पर भी निर्भर करता है:

Ø  नेटवर्क में प्रयुक्त कंप्यूटरों की हार्डवेयर क्षमताये|

Ø  अपने Execution के लिए प्रतीक्षारत (waiting) kकतार में लगे हुए अर्थात क्यूड कमांड्स (queved commands) की संख्या|

Ø  नेटवर्क में प्रयुक्त तार का प्रकार|

Ø  नेटवर्क में कंप्यूटरों के बीच की दूरियाँ|

 

बस नेटवर्क में कम्प्यूटर या तो अन्य कम्प्युटरों को डेटा ट्रान्समिट(transmit) करते हैं या फिर अन्य कम्प्यूटरों से डेटा को एक्सेप्ट(Accepts) करने के लिए बस को लिसन(Listen) करते है अर्थात् सुनते है| इसमें कम्प्यूटर्स एक कम्प्यूटर से दूसरें कम्प्यूटर पर डेटा को मूव करने के लिए जिम्मेवार नहीं होते है| अत: यदि नेटवर्क में कोई भी कम्प्युर फेल हो जाता है तो उसका प्रभाव शेष नेटवर्क पर नहीं पड़ता है|

 

 चूँकि डेटा को इलेक्ट्रॉनिक सिगनल के रूप में पूरे नेटवर्क  में भेजा जाता है; अत: यह तार(Cable) के एक सिरे से दुसरे सिरे तक ट्रैवल करता है| विदित हो कि यदि सिगनल को इंट्रप्त(Intrrupt) नहीं किया जाए तो यह तार पर आगे-पीछे बाउन्स(Bounce)  करता रहेगा और अन्य कम्प्यूटरों को सिगनलों को ट्रांसमिट करने से रोकेंगे| अत: सिगनल को वांछित डेस्टिनेशन कम्प्यूटर(edestination computer) पर पहुँचने के पश्चात् बाउंस(Bounce) करने से रोका जाना चाहिए | विदित हो कि सिगनल को बाउंस करने से रोकने के लिए तार के प्रत्येक सिरे(end)पर एक कॉम्पोनेन्ट(Component) को लगाया जाता है, जिसे टरमिनेटर (terminator) कहते हैं, जो फ्री सिगनल्स(free signals) को एब्जोर्ब(absorb) कर लेता है|

 

तार(cable) का प्रत्येक सिरा(end) या तो एक कम्प्यूटर या एक कनेक्टर(connector) में प्लग्ड(Plugged) होता है| तार(Cable) के प्लग्ड(Plugged) नहीं होने की स्तिथि में उसे टरमिनेटर(Terminator) से टरमिनेट(terminate) किया जाना आवश्यकत होता है, ताकि सिगनल को बाउंस(Bounce) करने से रोका जा सके | यदि तार भौतिक रूप से पृथक(physically seperated) होता है या कम से कम तार का कोई भी एक सिरा(End) डिस्कनेक्टेड(Disconnected) होता है तो तार(cable) में एक ब्रेक(Break) पाया जाता है| इन दोनों में से किसी भी स्थिति में तार(cable) के एक या दोनों सिरे(ends) पर टरमिनेटर(terminator)  नहीं होते है और सिगनल बाउंस(Bounce) करता है और सभी नेटवर्क एक्टिविटी(activity) अर्थात क्रियाकलाप स्टॉप(stop) हो जाते है और नेटवर्क “डाउन”(down) हो जाता है; अर्थात कार्य करना बंद कर देता है| परन्तु नेटवर्क के कम्प्यूटर, स्टैण्ड-एलोन कम्प्यूटर(stand-alone computer) के रूप में कार्य करने में सक्षम होते हे|

जैसे-जैसे किसी संस्था या साइट(site) का साइज बढता है, वैसे-वैसे नेटवर्क के साइज(size) को बढाने की आवश्यकता होती है| बस टोपोलॉजी(Bus topology) में तार को निम्नलिखित में से किसी भी एक विधि (method) से विस्तृत(extend) किया जाता है|

1.14

  •  बैरेल कनेक्टर(Barrel connector) के द्वारा तार(cable) के दो टुकडो को आपस में जोड़कर एक लम्बा तार(longer cable)  बनाया जा सकता है| [चित्र संख्या- 1.14 देखे| ]

 

विदित हो कि कनेक्टर्स (connectors) सिगनल को कमजोर करते है, अत: इनका प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए| अत: छोटे-छोटे तारो(cables) के टुकडो को कनेक्टर्स(connectors) से जोड़ने के बजाये एक ही लम्बे तार(Long cable) का प्रयोग करना चाहिए |

1.15
रिपीटर(repeater) नामक डिवाइस(device) का प्रयोग दो तारो(cables) को जोड़ने के लिए किया जा सकता है| रिपीटर(repeater) सिगनल को नेटवर्क में आगे भेजने के लिए उसकी शक्ति को बढाते हैं| चित्र संख्या- 1.15 में एक रिपीटर को एक कमजोर सिगनल(Weak signal) को बूस्ट(Boost) करते अर्थात् एम्प्लिफाई(amplify) करते अर्थात उसकी शक्ति को बढाते हुए दर्शाया गया है| रिपीटर(repeater) का प्रयोग कनेक्टर(connector) या एक लम्बे तार के प्रयोग की तुलना में श्रेयस्कर होता है क्योंकि यह सिगनल को लम्बी दूरी तक ट्रेवल(travel) करने के योग्य बनाता है| 


1.8.1 स्टार टोपोलॉजी (Star topology)

1.16
स्टार टोपोलॉजी(Star topology) में कम्प्यूटर से जुड़े प्रत्येक तार के टुकड़े(Cable segments) को एक सेंट्रलाइज्ड डिवाइस(Centralized device) से जोड़ा जाता है, जिसे हब(Hub) कहते हैं| चित्र
संख्या-1.16 में एक स्टार टोपोलॉजी(Star topology) में चार कम्प्युटरों को एक हब(Hub) से जुड़ा हुआ दर्शाया गया है| स्टार नेटवर्क(star network) में सेन्डिंग कम्प्यूटर(sending computer) डेटा भेजने वाला कम्प्यूटर से डेटा को सिगनलो के रूप में हब के माध्यम से नेटवर्क में सभी कम्प्यूटर को भेजा जाता है|

स्टार नेटवर्क(star network) सेंट्रलाइज्ड रिसोर्सेस और मैनेजमेंट(Centralized resources and management) का लाभ देता है| चूँकि नेटवर्क में प्रत्येक कम्प्यूटर एक सेन्ट्रल प्वॉइन्ट(Central point)  से जुड़ा होता है, अत: नेटवर्क के इंस्टालेशन(Installation) में बहुत अधिक तार(Cable) लगता है| यदि नेटवर्क में सेन्ट्रल प्वॉइन्ट(Central point) अर्थात हब(Hub) फेल(Fail) हो जाता है तो पूरा नेटवर्क डाउन(Down) हो जाता है| परन्तु, यदि हब(Hub) से जुड़ा कोई एक कम्प्यूटर या तार(Cable) फेल(Fail) हो जाता है, तो केवल वह कम्प्यूटर नेटवर्क से अलग हो जाता है और नेटवर्क में डेटा भेज(Send) या रिसीव(Receive) नहीं कर पता है; जबकि शेष नेटवर्क कार्यरत रहता है|

1.8.2 रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)

1.17
रिंग टोपोलॉजी(Ring topology) कम्प्युटरों को तार(cable) के वृताकार आकृति(circular shap) में जोड़ता है| बस टोपोलॉजी(Bus topology) की तरह इसमें तार का कोई भी सिरा(end) टरमिनेटेड(terminated) नहीं होता है| नेटवर्क में डेटा सिगनल्स(Data-signals) लूप(loop) में एक ही दिशा(Direction) में ट्रेवल(travel) करते है तथा प्रत्येक कम्प्यूटर से होकर गुजरते हैं| प्रत्येक कम्प्यूटर
एक रिपीटर(repeater) की तरह कार्य करता है और डेटा-सिगनल को बूस्ट(Boost) कर अर्थात् एम्प्लिफाई(maplify) कर अगले कम्प्यूटर को भेजता है| चित्र संख्या-1.17 में एक रिंग टोपोलॉजी(ring topology) को एक सर्वर(server) और चार वर्कस्टेशन(workstation) के साथ दर्शाया गया है| नेटवर्क के किसी भी एक कम्प्यूटर के फेल(fail) होने का प्रभाव सम्पूर्ण नेटवर्क पर पड़ता है|

रिंग नेटवर्क(ring network) में डेटा को ट्रांसमिट करने के लिए जिस मेथड(method) का प्रयोग किया जाता है, उसे टोकन पासिंग(token passing)  कहा जाता है| विदित हो कि एक टोकन(token) बिट्स (bits) का एक विशिष्ट सीरिज(series) होता है, जो टोकन रिंग नेटवर्क(token-ring network) में चारों और ट्रेवल(travel) करता रहता है| प्रत्येक रिंग-नेटवर्क(ring-network) में एक ही टोकन(token) होता है| यह टोकन(token) नेटवर्क में एक-एक कर प्रत्येक कम्प्यूटर से होकर तब तक गुजरता है जब तक कि इसे डेटा भेजने वाले कम्प्यूटर द्वारा सीज(sieze) नहीं किया जाता है| सेन्डिंग कम्प्यूटर(sending computer) अर्थात डेटा भेजने वाला कम्प्यूटर उस टोकन(token) को मॉडिफाई(modify) करता है और डेटा में एक इलेक्ट्रॉनिक एड्रेस(electronic address) को संलग्न करता है तथा उसे रिंग(ring) में भेज देता है| इसके पश्चात् डेटा रिंग(Ring) में तब तक घूमता रहता है जब तक कि उसे उपयुक्त एड्रेस नहीं मिल जाता है| इसके पश्चात रिसीविंग कम्प्यूटर(Receiving computer) अर्थात जिस कम्प्यूटर द्वारा डेटा रिसीव(Receive) किया जाता है, द्वारा सेंडिंग कम्प्यूटर(Sending computer) को एक मैसेज(Message) भेजा जाता है, जो यह इंगित करता है कि डेटा को रिसीव(Receive) कर लिया गया है| इस मैसेज को वेरीफाई(verify) करने के पश्चात् सेन्डिंग कम्प्यूटर(Sending computer) एक नया टोकन(Token) क्रिएट(Create) करता है और उसे नेटवर्क में भेज देता है| इसके बाद टोकन(Token), रिंग(Ring) में चारों ओर तब तक भ्रमण करता रहता है, जब तक कि उसे किसी कम्प्यूटर द्वारा डेटा ट्रांसमिट(Transmit) करने के लिए सीज(Sieze) नहीं किया जाता है| आप ऐसा सोच रहे होंगे कि टोकन-पासिंग(token-passing) में काफी लम्बा समय लगता होगा| वास्तव में टोकन(token) करीब-करीब प्रकाश की गति से ट्रेवल(travel) करता है| उदाहरणस्वरुप, एक 200 मीटर व्यास(diameter) के एक रिंग(ring) में टोकन(token) प्रति सेकंड 477.376 बार चक्कर लगा सकता है|

1.8.3 मेश टोपोलॉजी (Mesh topology)

मेश टोपोलॉजी(Mesh topology) में प्रत्येक कम्प्यूटर को एक-दुसरे से पृथक-पृथक तारोँ(Cables) से जोड़ा जाता है| इस कॉनफिगरेशन(Configuration) के कारण नेटवर्क में पर्याप्त पाथ(path) का निर्माण होता है, अत: किसी भी तार(cable) के फेल(fail) होने की स्तिथि में ट्रैफिक(traffic) दुसरे पाथ(path) से कंटिन्यू(continue) रहता है अर्थात जारी रहता है| अधिक तार(cable) का प्रयोग होने के कारण मेश नेटवर्क(Mesh network) का इंस्टालेशन(installation) खर्चीला होता है| अक्सरहाँ, मेश टोपोलॉजी(mesh topology) का प्रयोग अन्य टोपोलॉजी(topology) के साथ हाइब्रिड टोपोलॉजी(hybrid topology) का निर्माण करने के लिए किया जाता है|

1.8.4 हब के प्रकार (Types of Hubs)

हब(hub) एक डिवाइस(device) होता है,जो ट्रांसमिट(transmit) किये गये सिगनल्स(signals) को एक्सेप्ट(accept) कर,उन्हें एम्प्लिफाई(amplify) या बूस्ट(boots) कर नेटवर्क में पुनः वापस भेजता है| इसलिए हब(hub) को रिपीटर(repeater) भी कहा जाता है| हब(hub) में अनेक पिन-प्वॉइन्टस(pin-points) अर्थात पोर्ट्स(ports) होते है जो, जो एक साथ अनेक डिवाइसेस(devices) को नेटवर्क में जोड़ने की सुविधा देते है|
हब निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:
1- एक्टिव हब्स(Active Hubs) :- ज्यादातर हब(Hub), एक्टिव(Active) होते है; अर्थात वे रिपीटर(Repeater) की तरह सिगनल्स(Signals) को रिजेनेरेट(regenerate) और रिट्रान्समिट(retransmit) करते हैं| चूँकि हब्स(hubs) में ज्यादातर 8 से 12 पोर्ट्स(ports) होते है जो नेटवर्क में कम्प्यूटरों को जोड़ने की सुविधा देती हैं; अत: इन्हें मल्टीपोर्ट रिपीटर(multiport repeater) भी कहा जाता है| एक्टिव हब(Active hub) को रन करने के लिए विधुतीय शक्ति(electrical power) की आवश्यकता होती है|
2- पैसिव हब्स(Passive Hubs) :- पैसिव हब्स(Passive hubs) वे हब(hub) होते है जो केवल कनेक्शन प्वॅाइन्ट्स(connection points) मुहैया करते हैं और सिगनल(signal) को रिजेनेरेट(regenerate) या एम्पलीफाई(amplify) नहीं करते हैं| पैसिव हब(passive hub) को रन(run) करने के लिए विधुतीय शक्ति(electrical power) की आवश्यकता नहीं होती है| 
नोट(note):  अनेक एक्टिव हब्स (active hub) में डायग्नोस्टिक क्षमताएँ (diagnostic capabilities) होती है जो यह इंगित कर सकता है की कोई कनेक्शन(connection) कार्य कर रहा है या नहीं |

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