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1.5 सर्वर-आधारित नेटवर्क्स(Server-based Networks)

चूँकि पीयर-टू-पीयर नेटवर्क में प्रत्येक कम्प्यूटर क्लाइन्ट और सर्वर दोनों के रूप में कार्य करते है;अत: जब यूजर की संख्या 10 या इससे अधिक हो जाती तो नेटवर्क सही ढ़ंग से कार्य नहीं करता है| अत: ज्यादातर नेटवोर्को में डेडिकेटेड सर्वर्स(Dedicated servers) होते हैं| डेडिकेटेड सर्वर्स (Dedicated servers) किसी नेटवर्क में वह कम्प्यूटर होता है जो केवल सर्वर के रूप में कार्य करता है और जिसका प्रयोग क्लाइन्ट या वर्कस्टेशन के रूप में नहीं किया जा सकता है| सर्वेरों को डेडिकेटेड सर्वर के रूप में इसलिए वर्णित किया जाता है; क्योंकि इनसे अपने-आप क्लाइन्ट्स द्वारा किये गये रिक्वेस्ट्स के लिए तेजी से सर्विस देने की आशा की जाती है एवं साथ ही फाइलों और डाइरेक्ट्रीज की सुरक्षा की सुनिश्चितता की आशा की जाती है| सर्वर-आधारित नेटवर्क को चित्र संख्या 1.10 में दर्शाया गया है, जो नेटवर्किंग के लिए स्टैण्डर्ड माडेल बन चुके है|

जैसे-जैसे नेटवर्क साइज में बढ़ता है अर्थात् जैसे-जैसे नेटवर्क में कम्प्युटरों की संख्या, उनके बीच की दुरी और उनके बीच का ट्रैफिक बढ़ता है, नेटवर्क में एक से अधिक सर्वर की आवश्यकता होती है| नेटवर्किंग के कार्यो को एक से अधिक सर्वर के बीच वितरित करने से यह सुनिश्चित होता है कि प्रत्येक कार्य जल्द से जल्द और प्रभावशाली ढ़ंग एवं आसानी से निष्पादित होंगे |

1.5.1 सेर्वेरों के प्रकार(types of servers):-बड़े सर्वर-आधारित नेटवर्क (server-based network) में विभिन्न प्रकार के सेर्वेरों का प्रयोग किया जाता है, जो निम्नलिखित हैं

  • फाइल और प्रिंट सर्वर(File and print servers):- फाइल और प्रिंट सर्वर यूजर-एक्सेस, फाइलों के प्रयोग और प्रिंटर को प्रबंधित करते हैं| दुसरे शब्दों में,फाइल और प्रिंट सर्वेरों का प्रयोग फाइल और डेटा स्टोरेज के लिए किया जाता है| उदाहरणस्वरूप, जब आप किसी वर्ड- प्रोसेसिंग सोफ्टवेयर जैसे, MS-word को अपने कम्प्यूटर पर रन करते है तो यह फाइल और प्रिंट सर्वर से आपके कम्प्यूटर की मेमोरी में लोड होता है, ताकि आप इसका प्रयोग लोकाली कर सके|
  • एप्लीकेशन सर्वर(application servers):- एप्लीकेशन सर्वर, क्लाइन्ट को डेटा उपलब्ध कराते है| एप्लीकेशन सर्वर, फाइल और प्रिंट सर्वर से इन मायने में भिन्न हिते हैं कि फाइल और प्रिंट सर्वर से रिक्वेस्ट किये गये डेटा या फाइल क्लाइन्ट कम्प्यूटर पर डाउनलोड होते हैं; जबकि एप्लीकेशन सर्वर, क्लाइन्ट द्वारा की गयी रिक्वेस्ट के रिजल्ट को क्लाइन्ट को भेजता है; अर्थात् क्लाइंट कम्प्यूटर पर उसके द्वारा की गयी रिक्वेस्ट का रिजल्ट एप्लीकेशन सर्वर से डाउनलोड होता है| लोकली रन कर रहा एक क्लाइन्ट एप्लीकेशन , एप्लीकेशन सर्वर से डेटा को एक्सेस करता है| उदाहरणस्वरुप, आप “Employee” डाटाबेस की सर्चिंग उन सभी कर्मचारियों के लिए कर सकते है जिनका वेतन 10,000,00 से अधिक हो| इसके पश्चात इस क्वेरी का परिणाम एप्लिकेशन सर्वर से आपके लोकल कम्प्यूटर अर्थात क्लाइन्ट कम्प्यूटर पर डाउनलोड होता है|
  • मेल सर्वर(Mail server):-  मेल सर्वर भी एप्लीकेशन सर्वर के जैसे कार्य करते हैं; क्योंकि सर्वर और क्लाइन्ट एप्लीकेशन्स पृथक-पृथक होते है और क्लाइन्ट कम्प्यूटर पर मेल डाउनलोड होता हैं|
  • फैक्स सर्वर(Fax server):- फैक्स सर्वर एक या एक से अधिक फैक्स माडेम बोर्ड(fax modem board) को शेयर कर फैक्स से सम्बंधित आने और जाने वाले ट्रैफिक को प्रबंधित करते है|
  • कम्युनिकेशन सर्वर(Communication server):- कम्युनिकेशन सर्वर अपने नेटवर्क और अन्य नेटवर्को के बीच डेटा-फ्लो और ई-मेल मेसेज को संचालित(handle) करते हैं|
  • डाइरेक्ट्री सर्विसेस सर्वर (Directory Services Server:- डाइरेक्ट्री सर्विसेस सर्वर,युजरो को नेटवर्क में डेटा और सूचनाओं को खोजने, संग्रहित करने और सुरक्षित करने की सुविधा देते है| उदाहरणस्वरुप, कुछ सर्वर सोफ्टवेयर, जैसे विंडोज NT 4.0 सर्वर (windows Nt4.0 Server) कम्प्यूटरों को विभिन्न समूहों में समुहित करने की सुविधा देते है| इन समूहों को डोमेन्स  कहा जाता है, जो नेटवर्क में किसी भी यूजर को किसी भी रिसोर्स पर एक्सेस किये जाने की अनुमति देता है| 
    विभिन्न प्रकार के सर्वर 1.11

1.5.2 सर्वर आधारित नेटवर्क के लाभ(Advantages of server- based network)

यधपि सर्वर-आधारित नेटवर्क को इन्स्टॉल,कॉनफिगर और मैनेज करना कठिन तथा जटिल होता है, फिर भी पीयर-टू-पीयर नेटवर्क की तुलना में इसके अनेक लाभ है, जिनकी चर्चा यहाँ की जा रही है|

  • संसोधन की शेयरिंग(Sharing resources):-  एक सर्वर को अनेको फाइलों और प्रिंटरो पर एक्सेस प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया होता है; साथ ही यूजर के लिए परफॉरमेंस और सेक्यूरिटी भी मेन्टेन करने के लिए डिजाइन किया गया होता है| सर्वर-आधारित नेटवर्क में डेटा शेयरिंग को सेंट्रली एडमिनिस्टर और कन्ट्रोल किया जा सकता है| चूँकि नेटवर्क में शेयर्ड रिसोर्सेस सेंट्रली अवस्थित होते है, अत: इन्हें खास-खास कम्प्यूटरों पर अवस्थित रिसोर्सेस की तुलना में खोजना और सपोर्ट करना आसान होता है|
  • सेक्यूरिटी(Security):-  सर्वर-आधारित नेटवर्क के चयन का प्राथमिक कारण सेक्यूरिटी अर्थात सुरक्षा ही होता है| सर्वर-आधारित नेटवर्क में एक ही एडमिनिस्ट्रेटर जो पॉलिसी को निर्धारित करता है और उसे प्रत्येक यूजर के लिए नेटवर्क में एप्लाई करता है अत: सेक्यूरिटी को आसानी से प्रबंधित कर सकता है|
  • बैकअप(Backup):- सर्वर-आधारित नेटवर्क में डेटा के महत्व और वैल्यू के आधार पर उसे दैनिक या साप्ताहिक रूप से बैकअप किया जा सकता है| सर्वरों को नेटवर्क बैकअप के लिए ऑटोमैटिकली या पूर्व-निर्धारित शेड्यूल के अनुसार शेड्यूल किया जा सकता है|
  • डेटा-रिडन्डान्सी(Data redundancy):-  सर्वर-आधारित नेटवर्क में किसी भी सर्वर पर संग्रहित डेटा को किसी अन्य सर्वर पर डुप्लीकेट अर्थात कॉपी किया जा सकता है| अत: प्राइमरी डेटा स्टोरेज एरिया(primary data storage area)के क्षतिग्रस्त होने पर डेटा को रिस्टोर करने के लिए डेटा की बैकअप कॉपी का प्रयोग किया जा सकता है|
  • युजरों की संख्या(Number of users):- एक सर्वर-आधारित नेटवर्क हजारों युजरों का समर्थन कर सकता है| वर्तमान में उपलब्ध मानीटरिंग और नेटवर्क मैनेजमेंट यूटिलिटीज(monitoring and network management utilities) के कारण एक सर्वर-आधारित नेटवर्क को युजरो की बड़ी संख्या के साथ ऑपरेट किया जा सकता है| 

1.6 पीयर-टू-पीयर और सर्वर-आधारित नेटवोर्को की तुलना(A comparison of peer –to peer and Server- based network) 

कारक (Factors)

पीयर-टू-पीयर नेटवर्क         (peer-to-peer network )

सर्वर-आधारित नेटवर्क    (server-based network )

साइज (Size)

10 या इससे कम कम्प्यूटरों के लिए उपयुक्त होता है|

इसका साइज सर्वेरो की शक्ति, उनकी संख्या और नेटवर्क में प्रयुक्त हार्डवेयर पर निर्भर करता है|

सेक्यूरिटी (Security)

प्रत्येक कम्प्यूटर के यूजर द्वारा व्यक्तिगत तौर पर सेक्यूरिटी को स्थापित किया जाता है|

नेटवर्क एडमिनिस्ट्रैटर द्वारा सेक्यूरिटी को सेंट्रली स्थापित किया जाता है|

एडमिनिस्ट्रेशन (Administration)

प्रत्येक यूजर अपने एडमिनिस्ट्रेशन के लिए स्वयं जिम्मेवार होता है; अत: किसी फुल टाइम एडमिनिस्ट्रेटर की आवश्यकता नहीं होती है|

नेटवर्क को सेंट्रली एडमिनिस्टर करने की आवश्यकता होती है| अत: एक निपुण एडमिनिस्ट्रेटर की आवश्यकता होती है|

1.7 नेटवर्क टोपोलॉजी  (Network topology)

टोपोलॉजी(Topology) या नेटवर्क टोपोलॉजी(Network topology) का तात्पर्य नेटवर्क में कम्प्यूटरों(computers), तारों(cables) और अन्य कम्पोनेन्ट्स(components) अर्थात नेटवर्क डिवाइसेस(network devices) के व्यवस्थापन(Arrangement) या फिजिकल लेआउट(Physical layout) से होता है| वास्तव में “टोपोलॉजी”(Topology) वह पद(Term) है जिसका प्रयोग नेटवर्किंग में नेटवर्क के डिजाइन के लिए किया जाता है| इसके अतिरिक्त नेटवर्क के डिजाइन को परिभाषित करने के लिए डिजाइन(Design), फिजिकल लेआउट(Physical layout), डायग्राम(Diagram) तथा मैप(Map) जैसे पदों(terms) का इस्तेमाल किया जाता है|

किसी नेटवर्क की टोपोलॉजी उसकी क्षमताओं को प्रभावित करती है| किसी नेटवर्क के टोपोलॉजी का चयन निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है|

  • नेटवर्क की आवश्यकताओ के अनुसार उपकरण का प्रकार |
  • उपकरण की क्षमता |
  • नेटवर्क की वृद्धि |
  • नेटवर्क को प्रबन्धित करने का तरीका |

ज्यादातर नेटवोर्को में कम्प्यूटरों को एक-दुसरे से जोड़ने(connect) के लिए  तार(cable) का प्रयोग किया जाता है| परन्तु किसी नेटवर्क को स्थापित(install) करने का तात्पर्य कम्प्यूटरों को केबल तार से जोड़ देना ही नहीं होता है| विभिन्न प्रकार के तार, विभिन्न नेटवर्क कार्ड्स(network cards), विभिन्न नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम और अन्य नेटवर्क उपकरणों(network devices) के साथ नेटवर्क को स्थापित करने के लिए भिन्न प्रकार के व्यवस्थापन(arrangement) की आवश्यकता होती है| एक नेटवर्क को अच्छे ढंग से कार्य करने के लिए टोपोलॉजी की योजना(planning) बनाने की आवश्यकता होती है| कोई खास टोपोलॉजी केवल यही नहीं निर्धारित करती है कि नेटवर्क में किस प्रकार के तार का प्रयोग होगा; बल्कि यह भी निर्धारित करती है कि नेटवर्क में कम्प्यूटर कैसे कम्यूनिकेट(communicate) करेंगे|

विदित हो कि भिन्न टोपोलॉजी के लिए भिन्न कम्युनिकेशन मेथड(communication method) की आवश्यकता होती है, जिनका नेटवर्क पर गहरा प्रभाव होता है|

नोट(note). वायरलेस नेटवर्क(Wireless network) में कप्यूटरों को बिना तार का प्रयोग किये हुए ही जोड़ा जाता है\ वायरलेस टेक्नोलॉजी(Wireless technology) की चर्चा अध्याय-2 में की गई है|


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