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1.3 कम्प्यूटर नेटवर्को के दो प्रमुख प्रकार: लैन और वैन(The two major types of Computer Networks: LAN and VAN)

कम्प्यूटर नेटवर्को को उनके आकार और प्रकार्यों के आधार पर दो वर्गो में बाँटा जा सकता है:

  •   लोकल एरिया नेटवर्क अर्थात लैन(Local Area Network(LAN))
  •   वाइड एरिया नेटवर्क अर्थात वैन(Wide Area Network(VAN))

लोकल एरिया नेटवर्क(LAN)किसी भी कम्प्यूटर नेटवर्क का नींव (आधार) होता है| एक लैन (LAN) एक तार(Cable) से आपस में जुड़े हुए दो कम्प्यूटर हो सकता है या फिर सौ-दो सौ कम्प्यूटरो और पेरिफेलर डिवाइसों का एक जटिल संयोजन हो सकता है| लैन की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि इसका भौगोलिक क्षेत्र सिमित होता है| चित्र संख्या-1.5 में एक लोकल एरिया नेटवर्क‍(LAN) को दर्शाया है|

1.5
वाइड एरिया नेटवर्क(WAN)का भौगोलिक क्षेत्र सिमित नहीं होता है| यह कम्प्यूटरो और नेटवर्क-उपकरणों को पृथ्वी के एक कोने से दूसरे कोने तक जोड़ सकता है| एक वैन अनेक लोकल एरिया नेटवर्को(LANs) से निर्मित होता है, जो आपस में संचार माध्यमों जैसे, केबल्स(Cables),टेलीफोन लाइन्स (Telephone lines) और सेटेलाइटस(Satellites) के माध्यम से जुड़े होते है| इन्टरनेट(Internet),वैन(WAN) का एक ज्वलंत उदाहरण है|

1.4 नेटवर्क कॉन्फ़िगरेशन (Network configuration)

साधारणत: सभी कम्प्यूटर नेटवर्को के कुछ निश्चित घटक(components),प्रकार्य (functions)और विशेषताएँ (features) होते हैं,जो निम्नलिखित हैं| [चित्र संख्या-1.7 देखें|]

  • सर्वर्स(Servers):- ये वे कम्प्यूटर होते है जो नेटवर्क के युजरो को शेयर्ड रिसोर्सेस(Shared resources) अर्थात शेयर किये जा सकने वाले संसाधनों को मुहैया कराते हैं|
  • क्लाइन्ट्स(clients):- ये वे कम्प्यूटर होते हैं जो किसी सर्वर द्वारा मुहैया किये जाने वाले शेयर्ड नेटवर्क रिसोर्सेस को एक्सेस करते है|
    1.7
  • मिडिया(Media): - वे तार(wires) जो कम्प्यूटरों  के बीच फिजिकल कनेक्शन(Physical connections) करते हैं|
  • शेयर्ड डेटा(Shared data):- ये वे फाइलें होती हैं जो सर्वरों द्वारा नेटवर्क में क्लाइंटो को मुहैया करायी जाती हैं|
  • शेयर्ड पेरिफेरल डिवाइसेस(Shared peripheral devices):-  इसके अंतर्गत सर्वरों द्वारा मुहैया कराये जाने वाले प्रिंटर्स(Printers),हार्ड-डिस्कस(Hard disks)तथा अन्य पेरिफेरल डिवाइसेस (Peripheral devices)  आते हैं|
  • उपरोक्त समानताओ के बावजूद कम्प्यूटर नेटवर्को को दो वर्गो में विभाजित किया जा सकता है:

  1. पीयर-टू-पीयर नेटवर्क्स(Peer-to-peer networks)
  2. सर्वर-आधारित नेटवर्क्स(Server-based networks)

वास्तव में नेटवर्को का यह वर्गीकरण इस आधार पर किया जा सकता है कि नेटवर्क में कम्प्यूटरो को किस तरह से कॉनफिगर(Configure)किया जाता है और वे किस तरह सूचनाओ को शेयर (share)करते हैं| चित्र संख्या-1.8 में पीयर-टू-पीयर नेटवर्क(Peer-to-peer network)और सर्वर-आधारित नेटवर्क(server-based network )को दर्शाया गया है|

यहाँ पीयर-टू-पीयर नेटवर्क और सर्वर-आधारित  नेटवर्क में विभेद करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रत्येक की क्षमताएँ भिन्न हैं| किसी नेटवर्क के प्रकार का चयन (क्रियान्वयन के लिए) निम्नलिखित कारको पर निर्भर करता है:

  •      संस्था का आकार(Size of the organization)
  •      वांछित सुरक्षा का स्तर(Level of security required)
  •      व्यापार का प्रकार(Type of business)
  •      नेटवर्क ट्रैफिक की मात्रा(Amount of network traffic)
  •     नेटवर्क यूजरों की आवश्यकताएँ(needs of the network user)
  •      नेटवर्क बजट(Network budget)

1.4.1 पीयर-टू-पीयर नेटवर्क्स (peer-to-peer networks)

पीयर-टू-पीयर नेटवर्क में न तो कोई डेडिकेटेड सर्वर(dedicated server) होता है और न ही कम्प्यूटरो के बीच हिरारिकी(hierarchy) अर्थात क्रम होता है| सभी कम्प्यूटर एक समान होता है; अत: उन्हें पीयर्स(peers) कहा जाता है| नेटवर्क का प्रत्येक कम्प्यूटर,क्लाइन्ट(client) और सर्वर(server) दोनों के रूप में कार्य करता है|

नेटवर्क का एडमिनिस्ट्रेशन(administration) सम्पूर्ण नेटवर्क को एडमिनिस्टर(administer)करने के लिए उतरदायी नहीं होता है; बल्कि यह उतरदायित्व प्रत्येक युजरो का होता है कि किस कम्प्यूटर पर संग्रहीत कौन-कौन डेटा नेटवर्क में शेयर किये जायेंगे| चित्र संख्या-1.9 में एक पीयर-टू-पीयर नेटवर्क को दर्शाया गया है, जिसमे प्रत्येक कम्प्यूटर क्लाइन्ट और सर्वर दोनों के कार्य करते हैं|

साइज(Size):- पीयर-टू-पीयर नेटवर्को (Peer-to-peer networks) को वार्कग्रुप्स(Workgroups) भी कहा जाता है| “वर्कग्रुप्स” का तात्पर्य युजरो के एक छोटे समूह से होता है| साधारणत: एक पीयर-टू-पीयर नेटवर्क में 10या इससे कम कम्प्यूटर होता है|

लागत(Cost):- पीयर-टू-पीयर नेटवर्क अपेक्षाकृत सरल होता है; क्योकि इसमें प्रत्येक कम्प्यूटर क्लाइन्ट और सर्वर के रूप में कार्य करते है; अत: इसमे सेन्ट्रल सर्वर(Central server) कि आवश्कता नहीं होती है| पीयर-टू-पीयर नेटवर्क, सर्वर-आधारित नेटवर्क कि तुलना में कम खर्चीले होते है| ऑपरेटिंग- सिस्टम्स(Operating Systems):-  पीयर-टू-पीयर नेटवर्क में एक समान परफारमेंस (performance) के स्टैंर्ड्स और सुरक्षा के स्तर की आवश्यकता नहीं होती है| विदित हो कि डेटिकेटेड सर्वर्स(dedicated servers)केवल सर्वर्स (servers)के रूप में कार्य करते हैं और क्लाइन्ट(clients) या वर्कस्टेशन्स(workstations)के रूप में कार्य नहीं करते हैं|

अनेक ऑपरेटिंग सिस्टमो में पीयर-टू-पीयर नेटवर्किंग अंतर्निमित होते हैं; अत: पीयर-टू-पीयर नेटवर्क को इंस्टाल करने के लिए किसी अतिरिक्त सॉफ्टवेयर कि आवश्यकता नहीं होती है|

क्रियान्वयन(Implementation):-  एक साधारण नेटवर्क इन्वायरमेंट में ईयर-टू-पीयर नेटवर्क के क्रियान्वयन के निम्नलिखित लाभ है :

  •   कम्प्यूटर, युजरो के डेस्क(desk)पर स्थित होते हैं
  •   यूजर स्वयं एडमिनिस्ट्रेटर(administrator)का कार्य करते है और अपनी सुरक्षा की योजना     बनाते है|
  •  नेटवर्क में कम्प्यूटर एक साधारण केबलिंग सिस्टम(cabling system)से जुड़े होते हैं|

1.4.2 पीयर-टू-पीयर नेटवर्क किस इन्वायरमेंट के लिए उपयुक्त होते हैं?(For which environment peer-to-peer network is appropriate?)

पीयर-टू-पीयर नेटवर्क उस इन्वायरमेंट के लिए उपयुक्त होते हैं, जहाँ:

  • युजरो कि संख्या 10या इससे कम होती है|
  • यूजर नेटवर्क-संसोधनो जैसे, प्रिंटर्स, हार्ड डिस्कस और फाइलों को शेयर करते हैं; परन्तु विशिष्ट सर्वर्स(specialized servers) नहीं होते हैं|
  • सुरक्षा कोई मुद्दा नहीं होता है|
  • संस्था और उसके नेटवर्क में भविष्य में वृद्धि कि संभावना सिमित होती है|

1.4.3 पीयर-टू-पीयर नेटवर्क के विचारणीय मुद्दे(Considerable issues of peer-to-peer network)

यधपि पीयर-टू-पीयर नेटवर्क छोटी संस्थाओ कि सभी आवश्यकताओं पर खरा उतरना है; परन्तु यह सभी इन्वायरमेंट के लिए उपयुक्त नहीं है| अत: पीयर-टू-पीयर नेटवर्क का चयन करने से पूर्व आपको निम्नलिखित मुद्दों पर विचार करना चाहिए:

  •   एडमिनिस्ट्रेशन(Administration):- नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेशन के अंतर्गत निम्नलिखित कार्य आते हैं:
  •  युजरों का प्रबन्धन(Managing users)
  •  सुरक्षा का प्रबन्धन(Managing security) 
  •  संसाधनों को उपलब्ध करना (Making Resources available)
  •   एप्लीकेशन्स और डेटा को मेन्टेन करना (Maintaining Applications and data)

§   एप्लीकेशन और ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेर को इनस्टॉल और अपग्रेड करना  (Installing and upgrading Application and operating system software)

साधारनतया पीयर-टू-पीयर नेटवर्क में सिस्टम मैनेजर या नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर  को सम्पूर्ण नेटवर्क को एडमिनिस्टर(Administer) करने कि आवश्यकता नहीं होती है,बल्कि इसमें प्रत्येक यूजर अपने-अपने कम्प्यूटर को एडमिनिस्टर(administer) करते हैं|

संसोधनो कि शेयरिंग (Sharing resources):- पीयर-टू-पीयर नेटवर्क में सभी यूजर किसी भी तरीके से संसोधनो को शेयर क्र सकते हैं| इन संसोधनो के अंतर्गत शेयर्ड डाइरेक्ट्रीज  में संग्रहीत डेटा(Data stored in shared directories), प्रिंटर्स(Printers),फैक्स कार्ड्स (Fax card)इत्यादि आते हैं|

सर्वर की आवश्यकताएँ(Server requirements):- पीयर-टू-पीयर नेटवर्क इन्वायरमेंट में प्रत्येक कम्प्यूटर को अपने संसोधन का प्रयोग उस कम्प्यूटर के युजरो(जिसे लोकल यूजर कहा जाता है) को सपोर्ट करने के लिए करना चाहिए और साथ ही अतिरिक्त संसोधन(Additional resources) जैसे हार्ड-डिस्क स्पेस(hard-disk space) और मेमोरी(Memory) का प्रयोग नेटवर्क के अन्य (रिमोट यूजर(remote users)) द्वारा संसोधन की एक्सेसिंग(accessing) को सपोर्ट करने के लिए करना चाहिए|जहाँ सर्वर-आधारित नेटवर्क(server-based network) लोकल यूजर (local user) की इन माँगों (demands) को खत्म करता है; वहीं इसमें नेटवर्क के सभी क्लाइन्ट(clients) की माँगों(demands) की पूर्ति हेतु कम-से-कम एक शक्तिशाली डेडिकेटेड सर्वर(dedicated server) की आवश्यकता होती है|

सेक्यूरिटी(Security):-  कम्प्यूटर  नेटवर्क में सेक्यूरिटी का तात्पर्य कम्प्यूटर और उसमे संग्रहित डेटा को हानि या अनाधिकृत एक्सेस (unauthorized access) से सुरक्षित करने से होता है| इसके लिए नेटवर्क में शेयर्ड रिसोर्सेज (shared resources)जैसे, एक डाइरेक्ट्री (directory) पर एक पासवर्ड(password)सेट (set) किया जाता है| किसी पीयर-टू-पीयर नेटवर्क के प्रत्येक यूजर अपने-अपने सेक्यूरिटी को स्वयं सेट (set) करते है| इसमें शेयर्ड रेसोर्सस(shared resources) किसी सेंट्रलाइज्ड सर्वर(centralized server)पर विद्यमान पर न होकर किसी भी कम्प्यूटर पर विद्यमान  हो सकते है; अत: सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल ( centralized control)  को मेंटेन करना मुश्किल होता है| कंट्रोल की इस कमी का नेटवर्क की सेक्यूरिटी पर बुरा प्रभाव पड़ता है; क्योंकि कुछ यूजर सेक्यूरिटी को बिल्कुल ही क्रियान्वित  नहीं कर सकते हैं| यदि सेक्यूरिटी एक प्रधान मुद्दा हो, तो सर्वर आधारित नेटवर्क का चयन बेहतर होता है|

प्रशिक्षण(Training):-  पीयर-टू-पीयर नेटवर्क में प्रत्येक कम्प्यूटर, क्लाइन्ट और सर्वर दोनों के रूप में कार्य करता है; अत: युजरों को अपने-अपने कम्प्यूटरों पर यूजर और एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में कार्य करने के लिए उन्हें प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होती है| 

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