कंप्यूटर
के इतिहास
Very Important (पहले गणना के लिए प्रयोग में लिए जाने वाले डीवाइसो में मेकौनिकल
डिवाइसों थी |ऐबेकस को पहला कंप्यूटर कहा जाता है बाद में पास्कल,लारेस ,जैकब, एंटासाफबेरी,आदि ने कई डिवाइसे बनायी थी
परन्तु किसी भी डिवाइस में मेमोरी ना थी
तत्पश्चात सत्रहवी शताब्दी में चार्ल्स बैवेज ने एनालिटिकल और डिफ़रेंस मशीन का
अविष्कार किया जिसमे मेमोरी डाली गई | मशीन के अविष्कार से ही आधुनिक युग
की शुरुवात हुई | आज भी सभी कंप्यूटर में मेमोरी का प्रयोग किया जाता है इसके कारण
चार्ल्स बैवेज को कंप्यूटर के पितामहा कहा जाता है)
भारत में कंप्यूटर युग की शुरुआत सन १९५२ में
भारतीय सांख्यिकी संस्थान कोलकाता से हुई थी। सन १९५२ में आई एस आई में एक एनालोंग
कंप्यूटर की स्थापना की गई थी जो भारत का प्रथम कंप्यूटर था। यह कंप्यूटर १० X
१०
की मैट्रिक्स को हल कर सकता था। इसी समय भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलूर में भी एक
एनालोग कंप्यूटर स्थापित किया गया था जिसका प्रयोग अवकलन विश्लेषक के रूप में किया
जाता था। लेकिन इन सब के बाद भी भारत में कंप्यूटर युग की वास्तविक रूप से शुरुआत
हुई सन १९५६ में, जब आई एस आई कोलकाता में भारत का प्रथम
इलेक्ट्रोनिक डिजिटल कंप्यूटर HEC - 2M स्थापित किया गया। यह कंप्यूटर केवल
भारत का प्रथम इलेक्ट्रोनिक कंप्यूटर होने के कारण ख़ास नहीं था बल्कि इसलिए भी
ख़ास था क्योंकि इसकी स्थापना के साथ ही भारत जापान के बाद एशिया का दूसरा ऐसा देश
बन गया था जिसने कंप्यूटर तकनीक को अपनाया था।
वास्तव में HEC - 2M का निर्माण भारत
में न होकर इंग्लेंड में हुआ था। जहां से इसे आयात करके आई एस आई में स्थापित किया
गया था। इसका विकास एंड्रयू डोनाल्ड बूथ द्वारा किया गया था जो उस समय लंदन के
बर्कबैक कोलेज में कार्यरत प्रोफ़ेसर थे | यह कंप्यूटर १०२४ शब्द की ड्रम मेमोरी
युक्त एक १६ बिट का कंप्यूटर था जिसका संचालन करने के लिए मशीन भाषा का प्रयोग
किया जाता था तथा इनपुट और आउटपुट के लिए पंच कार्ड्स का प्रयोग किया जाता था
लेकिन बाद में इसमे प्रिंटर भी जोड़ दिया गया |
चूँकि यह देश का प्रथम डिजिटल कंप्यूटर था
इसलिए सम्पूर्ण देश से विभिन्न प्रकार की वैज्ञानिक समस्याओं का समाधान इस
कंप्यूटर से किया जाता था जैसे सुरक्षा विभाग तथा प्रयोगशालाओं से सम्बंधित
समस्याएँ विभिन्न प्रकार के विश्लेषक आदि |
लेकिन यह विकास गाथा यही समाप्त नहीं होती है |
सन
१९५८ में आई एस आई में युआरएएल नामक एक अन्य कंप्यूटर स्थापित किया गया जो आकार
में HEC - 2 M से भी बड़ा था। इस कंप्यूटर को रूस से खरीदा
गया था। यह नाम वास्तव में रूस की एक पर्वत श्रृंखला का नाम है और चूँकि यह
कंप्यूटर भी रूस से खरीदा गया था, इस कारण से इस कंप्यूटर को यह नाम दिया
गया | यह कंप्यूटर क्षेतिक मैग्नेटिक टेप युक्त एक ३२ बिट कंप्यूटर था,
जिसमे
इनपुट के रूप में पंच कार्ड्स तथा आउटपुट के रूप में प्रिंटर का प्रयोग किया जाता
था।
सन १९६४ में इन दोनों कंप्यूटर को तब विराम दे
दिया गया जब आईबीएम ने आई एस आई में अपना कंप्यूटर १४०१ स्थापित किया | आईबीएम
१४०१, १४०० श्रृंखला का पहला कंप्यूटर था जिसे आईबीएम द्वारा सन १९५९ में
विकसित किया गया था जो की एक डाटा प्रोसेसिंग सिस्टम कंप्यूटर था। इस कंप्यूटर में
मुख्य रूप से १४०१ प्रोसेसिंग यूनिट थी जो एक मिनट में १,९३,३००
योग की गणनाएं कर सकती थी | साथ ही साथ इस कंप्यूटर में इनपुट के
लिए पंच कार्ड्स के साथ साथ मैग्नेटिक टेप तथा आउटपुट के लिए आईबीएम १४०३ प्रिंटर
का प्रयोग किया जाता था।
इन सभी कंप्यूटर में जो एक समानता थी वह यह थी
कि ये सभी कंप्यूटर भारत में विकसित नहीं हुए थे बल्कि इन्हें दूसरे देशों से
खरीदा गया था। भारत में विकसित किया गया पहला कंप्यूटर था ISIJU, इस
कंप्यूटर का विकास सन १९६६ में दो संस्थाओं भारतीय सांख्यिकी संस्थान तथा जादवपुर
यूनिवर्सिटी द्वारा किया गया था। जिस कारण इसे ISIJU नाम दिया गया |
HEC - 2M तथा URAL दोनों ही वैक्यूम ट्यूब युक्त कंप्यूटर थे जबकि
ISIJU एक ट्रांजिस्टर युक्त कंप्यूटर था। इस कंप्यूटर का विकास भारतीय
कंप्यूटर तकनीक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था, यद्यपि यह
कंप्यूटर व्यवसायिक कम्प्यूटिंग आवश्यकताओं को पूर्ण नहीं करता था जिस कारण से
इसके द्वारा कोई विशिष्ट कार्य नहीं किया गया |
भारत में कम्प्यूटिंग विकास में सबसे महत्वपूर्ण
चरण आया ९० के दशक में जब पुणे में स्थित प्रगत संगणन विकास केंद्र में भारत का
प्रथम सुपर कंप्यूटर ' परम ८००० ' का विकास किया
गया | परम का अर्थ है parallel machine जो कि आज सुपर
कंप्यूटर की एक श्रृंखला है | परम का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रो में
किया जाता है जैसे बायोइन्फ़ोर्मेटिक्स के क्षेत्र में, मौसम विज्ञान के
क्षेत्र में, रसायन शास्त्र के क्षेत्र में आदि |
यद्यपि पर्सनल कंप्यूटर के आ जाने के कारण आज
भारत के कई हजारों घरों में, कार्यालयों में कंप्यूटर तकनीक पैर
पसार रही है लेकिन इन सभी एनालोग, मेनफ्रेम तथा सुपरकंप्यूटर ने भारत को
एक विकासशील देश बनाने में अपना अमूल्य योगदान दिया है |
nice Cantante
ReplyDeletevery good sir
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